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न्यायालय के बारे में
दतिया जिले में भारत की स्वतंत्रता के पूर्व कार्यपालिका और न्यायापालिका अलग - अलग न होकर वह राज्य के शासक राजा के हाथ में केन्दि्रत थी जिसमें न्यायिक व्यवस्था का प्रमुख राजा होता था उसके अधीन दीवान के हाथ में न्याय व्यवस्था रहती थी तथा फौजीदारी के छोटे-छोटे मामले शासक, सामंतों एवं सिकदार, सैनिक अधिकारी द्वारा सुलझाये जाते थे|
आधुनिक न्याय व्यवस्था के अंतगर्त दतिया जिला सर्वप्रथम छतरपुर सिविल जिला के अंतगर्त शामिल था, जिसमें जिला जज की मुख्य पीठ छतरपुर जिले में थी, तथा उसके क्षेत्रीय अधिकारिता के अंतर्गत टीकमगढ एवं दतिया जिले भी शामिल थे | दतिया में सिविल जज एवं मजिस्टेट के न्यायालय स्थापित थे, परंतु जिला एवं सत्र न्यायाधीश समय-समय पर दतिया में बैठक कर प्रकरणों का निराकरण करते थे | कुछ समय उपरांत 1961 से 1963 तक टीकमगढ एवं दतिया एक ही सिविल जिला में शामिल किया गया | सन 1964 के लगभग दतिया एवं शिवपुरी को मिलाकर एक सिविल जिला बनाया गया है तथा कुछ समय उपरांत दतिया को ग्वालियर जिला में शामिल किया गया |
सिविल जिला के रुप में दतिया में अलग से दिनांक 15-07-1978 को पूर्णकालिक जिला एवं सत्र न्यायाीधीश के न्यायालय की स्थापना हुई, उस समय दतिया के प्रथम जिला[...]
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